वर्षा जल संचयन की प्रणाली को इस तरीके से अभिकल्पित किया जाना चाहिए कि यह संचयन / इकट्ठा करने व पुनर्भरण प्रणाली के लिए ज्यादा जगह न घेरे।
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वर्षाजल संरक्षण, जलछाजन विकास, स्थानीय जल व्यवस्थाएं (टैंक, तालाब, झील, पोखर आदिएेसे कई नाम हैं, लेकिन ये सब स्थानीय जल व्यवस्थाएं हैं), नमभूमियां, जंगल, बाढ़ मैदान एवं नदियां, जो कि मौजूदा भूजल पुनर्भरण प्रणाली हैं, पर ध्यान देने से भारत की जल की जीवनरेखा टिकाऊ बन सकती हैं।